तापमान
चालीस पार करने के बाद तो किसी काम में मन नही लगता। घर के बाहर जाना भी अच्छा नही लगता।
तीस बत्तीस में तो अच्छा लगता था। कही भी,कभी भी निकल जाओ,कुछ थकावट नही रहती थी।मन में उत्साह रहता था।
बीस-पच्चीस में तो बहार रहती थी। life का मजा ही कुछ और था। मौज ,मस्ती, घूमना। कोई घबराहट नही।
45 पार में ना जाने क्या होंगा??? यह सोचकर ही घबराहट होती है। डर लगता है।

उम्र की बात नही।
तापमान की बात कर रहा हूँ।
😄😄😄😄😇😇
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Ha ha ha
डरना जरूरी है
डर के आगे जीत है😆